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लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

16. इश्क समंदर 

यह कहानी "ऊंट के मुंह में जीरा" मुहावरे को ध्यान में रखकर लिखी गई है । 

मीना कबसे राज का इंतजार कर रही थी । एक एक मिनट उसके लिए भारी पड़ रहा था । एक एक पल एक एक युग की तरह लग रहा था उसे । वह राज से एक पल की भी जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पाती थी । क्या करे वह ? फोन लगाये ? पर अभी तो राज मोटर साइकिल चला रहे होंगे ना , फिर फोन रिसीव कैसे करेंगे भला ? नहीं, फोन करना ठीक नहीं है । अगर मोटर साइकिल चलाते चलाते उन्होंने फोन रिसीव कर लिया तो ? ऐसी जोखिम कभी नहीं लेने देगी वह राज को । आखिर वह उसका पति, दिल, जान, जिगर, दुनिया सब कुछ है । अगर उसे कुछ हो गया तो ? 

बस, इससे आगे सोचना ही नहीं चाहती थी वह । अभी तो दोनों को मिले हुए जुम्मा जुम्मा दो महीने ही तो हुए थे । अभी तो मुहब्बत परवान भी नहीं चढी थी । अभी तो प्रेम की दहलीज पर ही कदम रखे थे उसने । अभी तो उसने प्रेम के दरिया से दो चार अंजुलि पानी ही तो पिया है । अभी तो वह इश्क के समंदर में उतरी है, डूबना तो अभी बाकी है । 

वह और भी बहुत कुछ सोचती , इससे पहले ही उसे बाहर से राज के गुनगुनाने की आवाज सुनाई दे गई  । राज को फिल्मी गीत गुनगुनाने का जबरदस्त शौक है । उसके लबों पर कोई न कोई गीत सजता ही रहता है । मीना उस गीत को गौर से सुनने लगी । 
'रेशम की डोरी होय, रेशम की डोरी 
कहां जइयों निंदिया चुरा के चोरी चोरी" 

मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर जी की आवाज में यह एक बेहद खूबसूरत युगल प्रेम गीत था जिसके बोल आनंद बक्षी साहब ने लिखे थे और संगीत लक्ष्मी प्यारे का था । 1969 की फिल्म साजन में इसे मनोज कुमार और आशा पारेख पर फिल्माया गया था । बहुत ही प्यारा और प्रेममय गाना था जिसे रफी साहब ने इस तरह से गाया था कि लगता था कि श्रीकृष्ण की बांसुरी बज रही हो और राधा जी प्रेम की डोरी से बंधकर खिंची हुई आ रही हों । मीना को जब तक प्रत्येक गाने की विस्तृत जानकारी नहीं हो जाती तब तक उसे चैन नहीं आता था । गाना सुनकर उसके दिल में प्रेम का झरना बहने लगा । 

राज के घर के अंदर आते ही वह उसकी बांहों में झूल गई और शिकायत करते हुए कहने लगी "कहां थे अब तक ? कितनी देर लगा दी आपने ? मैं तो डर के मारे मर ही गई  थी । और आप यह गाना फिर से गुनगुना रहे हो जिसके लिए मैंने मना किया था । जनाब को हमारी तो कोई फिक्र ही नहीं है । क्यों है ना" ? मीना एक ही सांस में इतना सब कह गई । 

"अरे बाबा, एक बार में ही इतने सवाल ? मेमसाहब, अभी तो हमारी नई नई शादी हुई है अगर एक बार में इतने सवाल करोगी तो फिर ये बंदा भागकर किसी कंदरा में तपस्या करने बैठ जायेगा । और फिर पता है क्या होगा" ? राज ने मीना को सीने से कसकर भींच लिया और फिर उसके नाजुक अधरों पर अपने अधरों से हस्ताक्षर कर दिये । मीना इसी पल का तो इंतजार कर रही थी । जेठ की तपती दोपहरी जैसे तप्त हृदय को जैसे सावन की बूंदों से ठंडक मिल गई थी । 
"क्या होगा" ? मीना ने राज की आंखों में देखते हुए पूछा । 
"इतनी भोली न बनो मीना रानी । आपको सब पता है कि तब क्या होगा" ? राज कपड़े बदलते हुए बोला 
"हमें कैसे पता होगा जी ? हम कोई अंतर्यामी हैं क्या" ? मीना चिंहुकते हुए बोली 
"मैडम जी, जब कोई व्यक्ति कंदराओं में बैठकर तपस्या करता है तब क्या होता है" ? 
"इंद्र का सिंहासन डोलता है और क्या होता है" ? 
"फिर इंद्र क्या करता है" ? 
"उसकी तपस्या भंग करवाने के लिए मेनका, उर्वशी जैसी अप्सराओं को भेज देता है, बस । उसके बाद क्या होता है क्या ये भी बताने की आवश्यकता है" ? 

मीना को तुरंत समझ में आ गया कि राज का इशारा किस ओर है । वह बोली "खबरदार, ऐसा सोचना भी मत । न जाने कितनी तपस्या के बाद हमने आपको पाया है अब आपको किसी "चुडैल" अप्सरा को तो नहीं सौंप सकते हैं न । आप मेरे हो , सिर्फ मेरे । पहले भी मेरे थे और अगले सात जन्मों तक भी मेरे ही रहोगे" मीना राज के पीछे से लिपटते हुए बोली ।
"मतलब आठवें जन्म में मैं किसी और का हो सकता हूं" । राज के होठों पर शरारत खेल रही थी 
"अच्छा जी ! पूरे बदमाश हो । शरीर कहीं के" और मीना ने राज की पीठ में हल्के से एक धौल जमा दी । 
"अरे, अरे, ये क्या कर रही हो मैडम ! रीढ की हड्डी टूट जायेगी बेचारी" । राज उसे और चिढाते हुए बोला । थोड़ी देर तक कमरे में पकड़म पकड़ाई का खेल चलता रहा । राज मीना की पकड़ से दूर ही रहा । मीना ने थककर समर्पण कर दिया और विषय बदलते हुए कहा 
"आप ये 'रेशम की डोरी' वाला गाना क्यों गुनगुना रहे थे" ? 
"हमें अच्छा लगता है ये गाना , इसलिए" 
"पर हमने मना किया था ना आपको !" 
"पर आपने मना क्यों किया था" ? 
"ये नहीं बता सकते हैं" 
"बताना तो पड़ेगा" 
"अजीब जबरदस्ती है । जनाब, हम आपकी नई नई बेगम हैं, हमारी इतनी सी बात भी नहीं मानेंगे क्या" ? 
"हम भी तो मोहतरमा के नये नये शौहर हैं, हमारी इतनी सी बात भी नहीं मानेंगी क्या" ? 
"बातों में आपसे जीतना बहुत मुश्किल है । अच्छा बताते हैं कि हमने इसे गाने से क्यों मना किया था" 
"क्यों किया था" ? 
"आप इस गीत को बहुत अच्छे से गाते हैं और हम इसे ढंग से नहीं गा पाते हैं ना । हमने बहुत कोशिश की है इसे गाने की मगर हमसे यह गीत अच्छा नहीं बन पाता है । इसलिए जलन के मारे मना किया था आपको" । मीना मुस्कुराते हुए बोली 
"बहुत जलोकड़ी हो तुम" 
"हां हैं । हमें तो तब भी बहुत जलन होती है जब कोई लड़की या औरत आपको देखती है । तब मन करता है कि उसकी दोनों आंखें निकाल कर उनसे कौड़ियां खेल लूं । छिनाल कहीं की ! क्यों देखती हैं वे आपको ऐसे" ? गुस्से से मीना का मुंह लाल सुर्ख हो गया था । 

राज को हंसी आ गई और मीना को मनाने के अंदाज में गाने लगा : उसी रेशम की डोरी गीत की तर्ज पर 
"मीना सुन गोरी होय ओ मीना सुन गोरी 
तेरा मेरा साथ जैसे तू पतंग और मैं डोरी 
मीना सुन गोरी हाय ओ मीना सुन गोरी 
मैं हूं तेरा चांद सुन ले, तू है मेरी चकोरी 
मीना सुन गोरी होय ओ मीना सुन गोरी" 

इस गीत से मीना प्रसन्न हो गई और वह राज के गले से लग गई । तब राज बोला "अब तो खुश हो प्रियतमा" ? 
"बस इतना ही ? यह तो ऊंट के मुंह में जीरा है । इतने से कैसे खुश हो जाऊंगी मैं" ? मीना राज के सीने में अपना मुंह घुसाते हुए बोली । 
"तो फिर मुझे क्या करना होगा इसके लिए" ? 

मीना कुछ सोचते हुए बोली "हूं ..  ऐसा करो आप हमारे साथ सिलसिला फिल्म का वो गीत 'ये कहां आ गये हम यूं ही साथ साथ चलते' गाओ तब हम प्रसन्न होंगे" । मीना के अंग अंग से प्रेम स्फुटित हो रहा था । 
"अरे बाप रे ! यह तो बहुत ही टफ गाना है । इसे कैसे गाऊंगा मैं" ? राज पीछा छुड़ाता हुआ बोला 
"क्या मतलब ? आपके लिए ये गाना टफ है" ? 
"और नहीं तो क्या ? अमिताभ जी की कितनी प्यारी आवाज है इसमें । और मेरी आवाज तो माशाल्लाह है । कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली" । राज ने मीना का मन लेने के लिए कहा 
"रहने दो, रहने दो । हमें सब पता है । आपकी आवाज बहुत गंभीर है । ऐसा लगता है जैसे किसी गहरे कुएं से आ रही है । और आपको क्या पता है कि आपकी आवाज की दीवानी कौन है और कौन नहीं" ? 
"अच्छा , आप ही बताइए दीजिए न" । शरारत से राज बोला 
"अजी हम बता देंगे तो जनाब आसमान में उड़ने लगेंगे । मेरी सारी सहेलियां आपकी दीवानी हैं । अब तो खुश हैं जनाब" ? 
"तो गीत गाना ही पड़ेगा ? कोई भी बहाना नहीं चलेगा" ? 
"नहीं, बिल्कुल नहीं" 

और दोनों जने वहीं सोने पर बैठकर इश्क समंदर में डूबते हुए सिलसिला का यह गाना गाने लगे 
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बाते करते हैं 
कि राज और मीना दोनों एक दूसरे पे मरते हैं 
मीना के बिना राज का एक पल भी गुजरता नहीं है 
दिल को लाख संभालो पर ये संभलता नहीं है 
मौसम की तरह से मचलने लगता है 
एक शराबी की तरह से बहकने लगता है 
तन्हाई के आलम में खामोशी की तरह 
मीना की यादें चुपके चुपके आ जाती हैं 
पतझड़ की तरह इस खाली दिल को 
आंधी तूफान की तरह हिला जाती हैं 
जबकि मुझे भी यह पता है कि मीना यहां नहीं है 
मगर ये दिल कहता है कि मीना हर कहीं है , हर कहीं है । 

राज की लिखी और गाई हुई इस शायरी को सुनकर मीना बाग बाग हो गई और वह पूरे तरन्नुम में गाने लगी "ये कहां आ गये हम , यूं ही साथ साथ चलते" । फिर दोनों इश्क के समंदर में डूब गये । 

श्री हरि 
19.1.2023 

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8 Comments

अदिति झा

26-Jan-2023 08:11 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

26-Jan-2023 11:00 PM

धन्यवाद मैम

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Rajeev kumar jha

23-Jan-2023 05:06 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jan-2023 08:04 PM

धन्यवाद जी

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Sant kumar sarthi

21-Jan-2023 02:45 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jan-2023 08:05 PM

हार्दिक अभिनंदन आदरणीय

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